लोगों की राय

शब्द का अर्थ खोजें

शब्द का अर्थ

धर  : वि० [सं०√धृ (धारण)+अच्] १. धारण करने या अपने ऊपर लेनेवाला। २. समस्त पदों के अंत में; उठाने या धारण करने वाला। हाथ में पकड़ने या रखनेवाला जैसे—गिरिधर, चक्रधर, महीधर। पुं० १. कच्छप जो पृथ्वी को अपने ऊपर धारण किये हुए हैं। २. विष्णु। ३. श्रीकृष्ण। ४. पर्वत। ५. एक वसु का नाम। ६. व्यभिचारी। ७. कपास का डोडा। ८. तलवार। स्त्री० [हिं० धरना] धरने अर्थात पकड़ने की क्रिया या भाव। पद—धर-पकड़। (देखें) स्त्री० [सं० धरा] पृथ्वी। उदा०—मानहुँ शेष अशेष धर धरनहार बरिबंड।—केशव। पद—धर-अंबर=पृथ्वी के आकाश तक। पुं०=धड़।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर-पकड़  : स्त्री० [हिं० धरना+पकड़] १. धरने या पकड़ने की क्रिया या भाव। २. सिपाहियों आदि द्वारा अनेक संदिग्ध अभियुक्तों को पकड़कर थाने ले जाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरक  : पुं० सं०] अनाज तौलने का काम करनेवाला। स्त्री०= धड़क।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरकना  : अ०=धड़कना।b
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरका  : पुं०=लड़का।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरकार  : पुं० [?] एक जाति जो बाँसों आदि की टोकरियाँ बनाने का काम करती है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरण  : पुं० [सं०√धृ+ल्युट्—अन] १. धारण करने की क्रिया या भाव। धारण। २. एक प्रकार की पुरानी तौल जो २४ रत्ती की, कहीं १ ६ मासे की और कहीं १॰. पल की कही गयी है। ३. जगत्। संसार। ४. सूर्य। ५. छाती। स्तन। ६. धान। ७.जलाशय का बाँध। ८. पुल। ९.एक नाग का नाम। स्त्री०=धरणी (पृथ्वी)।b
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरणि  : स्त्री० [सं०√धृ+अनि]=धरणी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरणि-धर  : पुं० [ष० त०] धरणीधर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरणी  : स्त्री० [सं० धरणि+ङीष्] १. पृथ्वी। २. नस। नाड़ी। ३. सेमल का पेड़। शाल्मली। ४. शहतीर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरणी-कंद  : पुं० [मयू० स०] एक प्रकार का कंद जिसे बनकंद भी कहते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरणी-कीलक  : पुं० [ष० त०] पर्वत। पहाड़।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरणी-धर  : वि० [ष० त०] पृथ्वी को धारण करनेवाला। पुं० १. शेषनाग। २. कच्छप। कछुआ। ३. विष्णु। ४. शिव। पर्वत। पहाड़।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरणी-पुत्र  : पुं० [ष० त०] १. मंगल ग्रह। २. नरकासुर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरणी-सुत  : पुं० [ष० त०] १. मंगल ग्रह। २. नरकासुर राक्षस।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरणी-सुता  : स्त्री० [ष० त०] सीता। जानकी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरणीपूर  : पुं० [सं० धरणी√फूर (पूर्ति)+अण्] समुद्र।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरणीभृत्  : पुं० [सं० धरणी+भृ (धारण)+क्विप्] १. शेषनाग। २. विष्णु। ३. पर्वत। पहाड़। ४. राजा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरणीय  : वि० [सं० धृ+अनीयर] १. धारण किये जाने योग्य। २. जिसे पकड़कर सहारा ले सकें।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरणीश्वर  : पुं० [सं० धरणी-ईश्वर, ष० त०] १. शिव। २. विष्णु। ३. राजा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरंता  : वि० [हिं० धरना=पकड़ना] १. धरने या पकड़नेवाला। २. दे० ‘धरता’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरता  : वि० [हिं० धरना] [स्त्री० धरती] १. धारण करने वाला। २. अपने ऊपर किसी कार्य का भार लेने वाला। पद—करता धरता=सब-कुछ करने धरने वाला। पुं० १. वह जिसने किसी से कुछ धन उधार लिया हो। ऋणी। कर्जदार। २. बँधा हुआ अंश जो किसी को रकम देने के समय धर्मार्थ अथवा किसी उद्देश्य से काट लिया जाता हो। कटौती।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरति  : स्त्री०=धरती (पृथ्वी)।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरती  : स्त्री० [सं० धरित्री] १. पृथ्वी। जमीन। मुहा०— धरती बहाना=(क) खोत जोतना। (ख) हल जोतने की तरह का बहुत अधिक परिश्रम करना। पद—धरती का फूल=(क) खुमी। छत्रक। (ख) मेढक। (ग) ऐसा व्यक्ति जो अभी हाल में अमीर हुआ हो। २. जगत। संसार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरधर  : पुं० [सं० धराधर] पर्वत। उदा०—धरधर श्रृंग सधर सुपनि पयोधर।—प्रिथीराज। स्त्री०=धड़-धड़।a पुं०=धरहर।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरधरा  : पुं० [अनु०] १. कलेजे की धड़कन। २. धड़की।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरधराना  : अ०, स०=धड़धड़ाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरन  : स्त्री० [हिं० धरना] १. धरने की क्रिया, ढंग या भाव। पकड़। २. अपनी बात पर दृढ़तापूर्वक अड़े रहने की अवस्था, क्रिया या भाव। हठ। जिद। टेक। मुहा०—धरन धरना=अपनी बात पर अड़े रहना। हठ या जिद न छोड़ना। स्त्री० [सं० धरणी] १. आमने-सामने दीवारों के सिरे पर रखा जाने वाला वह मजबूत मोटा लट्ठ या छोटा शहतीर, जिसके सहारे पर ऊपर की छत टिकी रहती या पाटी जाती है। कड़ी। धरनी। २. स्त्रियों के गर्भाशय के ऊपरी भाग की वह नस, जो उसे इधर उधर से रोके रखकर यथास्थान स्थित रखती है। मुहा०—धरन खिसकना, टलना या सरकना=गर्भाशय की उक्त नस का अपने स्थान से इधर-उधर हो जाना, जिससे गर्भाशय के आस-पास बहुत पीड़ा होती है। ३. गर्भाशय। पुं०=धरना।a स्त्री०=धरणी (पृथ्वी)।a वि०=धरण (धारण करनेवाला)।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरनहार  : वि० [हिं० धरना+हार (प्रत्य०)] धारण करनेवाला। वि० [हिं० धरना=पकड़ना] धरने या पकड़नेवाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरना  : स० [सं० धारण] १. कोई चीज इस प्रकार दृढ़ता से पकड़ना या हाथ में लेना कि वह जल्दी छूट न सके अथवा इधर-उधर न हो सके। पकड़ना। थामना। संयो० क्रि०—लेना। २. ग्रहण या धारण करना। ३. अधिकार या रक्षा में लेना। मुहा०—धर दबाना=(क) पकड़कर वश में कर लेना। आक्रांत करना। जैसे—बिल्ली ने कबूतर को धर दबाया। (ख) लाक्षणिक रूप में, वेगपूर्वक कोई ऐसी बात कहना जिससे विपक्षी दब जाए या चुप हो जाय। धर दबोचना=धर पकड़ना। पद—धर-पकड़कर=किसी की इच्छा न होते हुए भी उसके प्रति कुछ बल-प्रयोग करते हुए। जैसे—धर-पकड़कर मुझे भी लोग वहाँ ले ही गये। ४. किसी स्थान पर किसी चीज को रखना। जैसे—संदूक में कपड़े धरना। संयो० क्रि०—देना।—लेना। मुहा०— किसी चीज या बात का) धरा रह जाना=इस रूप में व्यर्थ पड़ा रहना कि समय पर काम न आ सके। जैसे—उनके सामने जाते ही आपकी सारी चालाकी (या बहादुरी) धरी रह जायगी। पद—धरा-ढका=समय पर काम करने के लिए बचाकर रखा हुआ। जैसे—ये सब कपड़े यों ही धरे ढके रहने दो; समय पर काम आवेंगे। ५. किसी के अधिकार में देना या किसी के पास रखना। जैसे—ये पुस्तकें किसी मित्र के पास धर दो। ६. निश्चित या स्थिर करना। जैसे—किसी काम के लिए कोई दिन धरना। ७. धारण करना। जैसे—बहरूपिए तरह-तरह के रूप धरते हैं। ८. पत्नी (या पति) के रूप में किसी को अपने यहाँ रखना। उदा०—ब्याहौ लाख, धरौ दस कुबरी, अंतहि कान्ह हमारो।—सूर। ९. कोई चीज गिरवी या रहन रखना। बंधक रखना। उदा०—वह अँगूठी धरकर रुपये ले आया है। १॰.. फैलने वाली वस्तु का किसी दूसरी वस्तु में लगना या उस पर प्रभाव डालना। जैसे—आग धरा। पुं० अपनी प्रार्थना या बात मनवाने, अपनी माँग पूरी करने या किसी को कोई अनुचित काम करने से रोकने के लिए उसके दरवाजे पर, पास या सामने तब तक अड़कर बैठे रहना, जब तक वह प्रार्थना या माँग पूरी न हो जाय अथवा वह अनुचित काम बंद न हो जाय। (पिकेटिंग) क्रि० प्र०—देना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरनि  : स्त्री० [हिं० धरना] जिद। टेक। हठ।b स्त्री०= धरणी।b
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरनी  : स्त्री० [हिं० धरना या सं० धारण] किसी बात पर दृढ़तापूर्वक अड़े रहने की क्रिया या भाव। जिद। टेक। हठ। क्रि० प्र०—धरना। स्त्री०=धरणी (पृथ्वी)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरनैत  : पुं० [हिं० धरना+एत (प्रत्य०)] किसी काम या बात के लिए अड़कर किसी स्थान पर बैठने या धरना देनेवाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरबी  : स० [सं० धारण] १. धारण करेगा। २. पकड़ेगा। (बुंदेल०)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरम  : पुं०=धर्म।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरमसार  : स्त्री० धर्मशाला।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरमाई  : स्त्री०=धार्मिकता। उदा०—होहिं परिच्छा तौ कछु परहि जानि धरमाई।—रत्ना०।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरमी  : वि० [सं० धर्म्म] १. धर्म के अनुसार आचरण करने वाला। २. किसी धर्म या मत का अनुयायी। ३. धर्म-संबंधी। धार्मिक। ४. दे० ‘धर्मी’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरमेसुर  : वि०=धर्मेश्वर।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरवाना  : स० [हिं० धरना का प्रे०] १. धरने का काम किसी दूसरे से कराना। २. पकड़वाना। थमाना। ३. रखवाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरषना  : अ०, स०=धरसना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरसना  : स० [सं० धर्षण] १. अच्छी तरह कुचलते या रौंदते हुए दबाना। मर्दन करना। २. अपमानित करना। ३. दुर्दशा करना। अ० अच्छी तरह कुचला या दबाया जाना। २. अपमानित होना। ३. दुर्दटनाग्रस्त होना। ४. डर या सहम जाना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरसनी  : स्त्री०=धर्षणी।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरहर  : स्त्री० [हिं० धरना+हर (प्रत्य०)] १. दो या अधिक लड़नेवालों को धर-पकड़कर अलग करने या लड़ाई बंद कराने का कार्य। बीच-बचाव। २. किसी को पकड़ जाने या मार खाने से बचाने के लिए किया जाने वाला काम। बचाव। रक्षा। ३. धीरज। धैर्य। ४. दृढ़ निश्चय। उदा०—जमकरि मुँह तर हरि पर्यौ, इहिं धरि हरि चित्त लाउ।—बिहारी। ५. दे० ‘धर-पकड़’। वि० रक्षक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरहरना  : अ० १. दे० ‘धड़कना’। २. दे० ‘धड़धड़ाना’।b स० दे० ‘धड़धड़ाना’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरहरा  : पुं० [हिं० धुर=ऊपर+घर] १. खंबे के सदृश ऐसी ऊंची वास्तु-रचना, जिस पर चढ़ने के लिए अंदर से सीढ़ियाँ बनी होती हैं। धौरहर। मीनार। २. ’जल-स्तंभ’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरहरि  : स्त्री०, वि०=धरहर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरहरिया  : पुं० [हिं० धरहरि] १. धर-पकड़कर बचानेवाला। बीच-बचाव करनेवाला। २. रक्षक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरा  : स्त्री० [सं०√धृ+अप्+टाप्] १. पृथ्वी। जमीन। धरती। २. जगत। दुनिया। संसार। ३. गर्भाशय। ४. चरबी। मेद। ५. नस। नाड़ी। ६. एक प्रकार का वर्णवृत्त जिसके प्रत्येक चरण में एक तगण और एक गुरु होता है। पुं०=धड़ा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरा-कदंब  : पुं० [सं० मध्य० स०] एक प्रकार का कदंब।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरा-तल  : पुं० [ष० त०] १. पृथ्वी का ऊपरी तल। जमीन। धरती। २. कोई ऐसा अलग या स्वतंत्र विस्तार जिसका विचार दूसरे तलों से बिलकुल अलग किया जाय। तल। सतह। जैसे—आपने अपनी मीमांसा से यह विषय एक नये धरातल पर ला रखा है। ३. किसी चीज की चौड़ाई और लंबाई का गुणनफल। रकबा। ४. पृथ्वी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरा-धर  : पुं० [ष० त०] १. वह जो पृथ्वी को धारण करे। २. शेष नाग। ३. विष्णु। ४. पर्वत। पहाड़।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरा-धरन  : पुं०=धराधर।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरा-धरी  : स्त्री०=धर-पकड़।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरा-पुत्र  : पुं० [ष० त०] १. मंगल ग्रह। २. नरकासुर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरा-सुत  : पुं० [ष० त०] १. मंगल ग्रह। २. नरकासुर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरा-सुर  : पुं० [सं० त०] ब्राह्मण।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धराउर  : स्त्री०=धरोहर।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धराऊ  : वि० [हिं० धरना+आऊ (प्रत्य०)] १. (ऐसा माल) जो बहुत दिन का पड़ा या रखा हो और फलतः बिका न हो पुराना। २. जो अप्राप्य या दुर्लभ होने के कारण केवल विशेष अवसरों के लिए रखा रहे।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धराका  : पुं०=धड़ाका।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरात्मज  : पुं० [धरा-आत्मज, ष० त०] १. मंगलग्रह। २. नरकासुर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरात्मजा  : स्त्री० [धरा-आत्मजा ष० त०] सीता। जानकी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धराधार  : पुं० [धरा-आधार ष० त०] शेषनाग।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धराधिप, धराधिपति  : पुं० [धरा-अधिप, ष० त०, धरा-अधिपति, ष० त०] राजा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धराधीश  : पुं० [धरा-अधीश, ष० त०] राजा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धराना  : स० [हिं० ‘धरना’ का प्रे०] १. पकड़ाना। थमाना। २. पकड़वाना। ३. किसी को कहीं कुछ धरने या रखने में प्रवृत्त करना। जैसे—चोरों से माल धराना। ३. रखवाना। रखना। ४. नियत, निश्चित या स्थिर कराना। जैसे—किसी काम या बात के लिए दिन धराना; अर्थात निश्चित कराना। जैसे—मुहूर्त धराना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरामर  : पुं० [सं०] ब्राह्मण।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरामृत  : पुं० [सं० धरा√भृ (धारण)+क्विप्, तुक्-आगम] पर्वत। पहाड़।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरावत  : स्त्री० [हिं० धरना] १. धरने की क्रिया, ढंग या भाव। २. जमीन की वह माप या क्षेत्र-फल जो कूतकर मान लिया गया हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरावना  : स०= धराना।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धराशायी (यिन्)  : वि० [सं० धरा+शी (सोना)+णिनि] [स्त्री० धराशायिनी] १. जमीन पर पड़ा, लेटा या सोया हुआ। जैसे—युद्ध में वीरों का धराशायी होना, अर्थात गिर पड़ना मर जाना। २. गिर, ढह या टूटकर जमीन के बराबर हो जाना। जैसे—भवन या स्तूप धराशायी होना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरास्त्र  : पुं० [सं०] एक प्रकार का प्राचीन अस्त्र, जिसका प्रयोग विश्वामित्र ने वशिष्ठ पर किया था।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धराहर  : पुं० [हिं० धुर=ऊपर+घर]=धौरहर (मीनार)।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरिंगा  : पुं० [देश०] एक तरह का चावल।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरित्री  : स्त्री० [सं०] धरती। पृथ्वी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरिमा (मन्)  : स्त्री० [सं०√धृ (धारण)+इमनिच्] १. तराजू। २. रूप। शक्ल।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरी  : स्त्री० [हिं० धरना] १. अवलंब। आश्रय। उदा०—अब मौकों धरि (धरी) रहीन कोऊ तातैं जाति भरी।—सूर। २. अर्थात उपपत्नी के रूप में रखी हुई स्त्री। रखेली। स्त्री० [हिं० ढार] कान में पहनने का ढार या बिरिया नाम का गहना। स्त्री०=धड़ी।a स्त्री० [हिं० धार] १. जल की धार। २. वर्षा की झड़ी।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरीचा  : वि० [हिं० धरना] १. धरा या पकड़ा हुआ। पुं० दे० ‘धरेला’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरुण  : वि० [सं०√धृ+उनन्] धारण करने वाला। १. ब्राह्मण। २. स्वर्ण। ३. जल। ४. राय। ५. वह स्थान जहाँ कोई वस्तु सुरक्षित अवस्था में रखी जा सके। ६. अग्नि। ७. दुधमुहाँ बछड़ा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरेचा  : वि०, पुं०=धरेला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरेजा  : पुं० [हिं० धरना=रखना+एजा (प्रत्य०)] किसी विधवा स्त्री की पत्नी को पत्नी की तरह घर में रखने की क्रिया या प्रथा। स्त्री० इस प्रकार रखी हुई स्त्री।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरेला  : वि० [हिं० धरना] [स्त्री० धरेली] जो किसी रूप में धर या पकड़कर अपने पास रखा या अपने अधिकार में किया गया हो। पुं० १. किसी स्त्री की दृष्टि से, वह पुरुष जिसे उसने अपना पति बनाकर अपने पास या साथ रखा हो। २. कुछ जातियों में प्रचलित वह प्रथा, जिसमें बिना विवाह किये ही लोग विधवा स्त्री को सगाई आदि करके अपनी पत्नी बनाकर रख लेते हैं; और उनके समाज में उनका ऐसा संबंध विधि-संगत माना जाता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरेली  : स्त्री० [हिं० धरेला] रखेली। उपपत्नी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरेवा  : पुं० दे० ‘करेवा’। (विवाह का एक प्रकार)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरेश  : पुं० [सं० धरा-ईश, ष० त०] राजा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरेस  : पुं०=धरेश।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरैया  : वि० [हिं० धरना] १. धरने या पकड़नेवाला। २. धारण करनेवाला। पुं० कच्छप, शेषनाग आदि जो पृथ्वी को धारण करनेवाले कहे जाते हैं। स्त्री० वह प्रथा जिसके अनुसार कोई व्यक्ति (पुरुष या स्त्री) किसी दूसरे व्यक्ति (स्त्री या पुरुष) को अपना जीवन-सहचर बनाकर रखता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरोड़  : स्त्री०=धरोहर।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरोहर  : स्त्री० [हिं० धरना] १. वह धन या संपत्ति, जो किसी विश्वस्त व्यक्ति के पास कुछ समय तक सुरक्षित रखने के लिए रखी जाय। अमानत। क्रि० प्र०—धरना—रखना। २. वस्तु या गुण जो निधि के रूप में हमें पूर्वजों से मिला हो। थाती। जैसे—हमें यह संस्कृति अपने पूर्वजों से धरोहर के रूप में मिली है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरौंआ  : पुं० [हिं० धरना] बिना विधिपूर्वक विवाह किये स्त्री या पुरुष को पत्नी या पति बनाकर रखने की प्रथा। धरैया। वि० उक्त प्रथा के अनुसार अपने साथ या पास रखा हुआ (व्यक्ति)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरौना  : पुं०=धरैया (प्रथा)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धरौली  : स्त्री० [देश०] एक प्रकार का छोटा पेड़, जो भारत वर्ष में प्रायः सब जगह विशेषतः हिमालय की तराई में पाया जाता है। इसमें सफेद, लाल या पीले फूल लगते हैं।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्ता (र्तृ)  : वि० [सं०√धृ (धारण)+तृच्] १. धारण करनेवाला। २. अपने ऊपर किसी काम या बात का भार लेनेवाला। पद—कर्ता-धर्ता। (दे० ‘कर्ता’ के अन्तर्गत)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्ती  : स्त्री०=धरती।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्तूर  : पुं० [सं० धुस्तुर पृषो० सिद्धि] धतूरा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्त्र  : पुं० [सं०√धृ+त्र] १. घर। ग्रह। सहारा। टेक। ३. यज्ञ। ४. पुण्य। ५. नैतिकता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म  : पुं० [सं०√धृ+मन्] [वि० धार्मिक] १. पदार्थ का वह प्राकृतिक तथा मूलगुण, विशेषता या वृत्ति, जो उसमें बराबर स्थायी रूप से वर्तमान रहती हो, जिससे उसकी पहचान होती हो और उससे कभी अलग न की जा सकती हो। जैसे—आग का धर्म जलना और जलाना या जीव का धर्म जन्म लेना और मरना है। २. सामाजिक क्षेत्र में नियम, विधि, व्यवहार आदि के आधार पर नियत तथा निश्चित वे सब काम या बातें जिनका पालन समाज के अस्तित्व या स्थिति के लिए आवश्यक होता है और जो प्रायः सर्वत्र सार्विक रूप से मान्य होती है। जैसे—अहिंसा, दया, न्याय, सत्यता आदि का आचरण मनुष्य मात्र का धर्म है। ३. लौकिक क्षेत्र में वे सब कर्म तथा कृत्य, जिनका आचरण या पालन किसी विशिष्ट स्थिति के लिए विहित हो। जैसे—(क) माता-पिता की सेवा करना पुत्र का धर्म है। (ख) पढ़ना-पढ़ाना यज्ञ आदि करना, किसी समय ब्राह्मण का मुख्य धर्म माना जाता है। ४. आध्यात्मिक क्षेत्र में, ईश्वर, देवी-देवता, देव-दूत (पैगम्बर) आदि के प्रति मन में होने वाले विश्वास तथा श्रद्धा के आधार पर स्थित वे कर्तव्य कर्म अथवा धारणाएँ, जो भिन्न-भिन्न जातियों और देशों के लोगों में अलग-अलग रूपों में प्रचलित हैं और जो कुछ विशिष्ट प्रकार के आचार-शास्त्र तथा दर्शन-शास्त्र पर आश्रित होती हैं। जैसे—ईसाई-धर्म, बौद्ध-धर्म, हिंदू-धर्म आदि। विशेष—साधारणतः ऐसे धर्म या तो किसी विशिष्ट महापुरुष द्वारा प्रवर्तित और संस्थापित होते हैं, या किसी मुख्य और परम मान्य ग्रंथ पर आश्रित होते हैं, जिसे धर्मग्रन्थ कहते हैं। ऐसे ग्रन्थों में उल्लिखित बातों का पालन, पारलौकिक सुख या स्वर्ग की प्राप्ति के उद्देश्य से उस धर्म के अनुयायियों के लिए आवश्यक या कर्तव्य समझा जाता है। पद—धर्म-कर्म, धर्म-ग्रंथ, धर्म-चर्चा आदि। मुहा०—धर्म कमाना=धर्म करके उसका फल संचित करना। धर्म-खाना=धर्म का साक्षी बनाकर या धर्म की शपथ करते हुए कोई बात कहना। धर्म रखना=धर्म के अनुसार आचरण या व्यवहार करना। धर्म लगती या धर्म से कहना =धर्म का ध्यान रखकर उचित और न्याय संगत बात कहना। उचित, ठीक या सच बात कहना। ५. भारतीय नागर नीति में, वे सब नैतिक या व्यवहारिक नियम और विधान, जो समाज का ठीक तरह से संचालन करने के लिए प्राचीन ऋषि-मुनि समय-समय पर बनाते चले आये हैं और जो स्वर्गादि शुभ फल देने वाले कहे गये हैं। जैसे—धर्म-शास्त्र क्षेत्र में उक्त प्रकार के तथ्यों या बातों से मिलती-जुलती वे सब धारणाएँ विचार और विश्वास, जिनका आचरण तथा पालन कुछ लोग अपने लिए आवश्यक और कर्तव्य समझते हैं। जैसे—मानवता (या राष्ट्रीयता) के सिद्धान्तों का पालन करना ही हमारा धर्म है। ७. सदाचार। ८. पुण्य। सत्कर्म। ९.अलंकार शास्त्र में वह गुण या वृत्ति, जो उपमेय और उपमान दोनों के समान रूप से वर्तमान रहती है और जिसके आधार पर एक वस्तु की उपमा दूसरी वस्तु से दी जाती है। १0. न्यायशीलता और विवेक-बुद्धि। मुहा०—धर्म में आना=मन में उचित या ठीक जान पड़ना। जैसे—जो तुम्हारे धर्म में आवे, सो करो। १ १. धर्मराज। यमराज। १ २. कमान। धनुष। १ ३. सोमपान करनेवाला व्यक्ति। १ ४. वर्तमान अवसर्पिणी के १ ५ वें अर्हत का नाम। (जैन) वि० संबंध सूचक शब्दों के आरम्भ में, धर्म के अनुसार या धर्म को साक्षी करके बनाया या माना हुआ। जैसे—धर्म-पत्नी, धर्म-पिता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-कर्म  : पुं० [ष० त०] १. वे कार्य जो धर्म-ग्रन्थों में मनुष्य मात्र के लिए कर्तव्य कहे गये हों। २. किसी विशिष्ट धर्म के अनुसार किये जाने वाले लौकिक कृत्य।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-काम  : पुं० [सं० धर्म√कम् (चाहना)+णिङ+अण्] अपना कर्तव्य समझकर धार्मिक कृत्य करनेवाला व्यक्ति।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-काय  : पुं० [च० त०] बौद्ध-दर्शन में बुद्ध का वह परमार्थ-भूत शरीर जो अनिवर्चनीय, अनंत, अपरिमेय और सर्वव्यापक माना गया है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-कोल  : पुं० [ष० त०] १. राज्य का शासन। २. शासन करनेवाली सत्ता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-क्षेत्र  : पुं० [ष० त०] १. कुरुक्षेत्र। २. भारतवर्ष, जो भारतीय आर्यों की दृष्टि में धर्म-कार्य करने के लिए विशेष रूप से उपयुक्त माना गया है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-खाता  : पुं० [सं० धर्म+हिं० खाता] कार्य के विभाग या व्यय का वह मद जो केवल दान, परोपकार आदि का कामों में लगाने के लिए हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-गंडिका  : स्त्री० [सं०] यज्ञ आदि में वह खूँटा, जिस पर बलि चढ़ाये जाने वाले जानवरों का सिर रखा जाता था।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-गुरु  : पुं० [ष० त०] १. धार्मिक उपदेश या गुरुमंत्र देनेवाला गुरु। २. किसी धर्म या सम्प्रदाय का प्रधान आचार्य। जैसे—कबीर, नानक, शंकराचार्य आदि।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-ग्रंथ  : पुं० [ष० त०] किसी जाति या संप्रदाय का उसकी दृष्टि में पूज्य ग्रंथ, जिसमें मनुष्य के धार्मिक व्यवहारों, पूजन-विधियों तथा सामाजिक संबंधों का निर्देशन होता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-घट  : पुं० [च० त०] १. दान के रूप में दिया जाने वाला सुगंधित जल से भरा हुआ घड़ा। २. बस्तियों में घर-घर रखा जानेवाला वह घड़ा, जिसमें दान कार्य के लिए नित्य थोड़ा अनाज डालकर इकट्ठा किया जाता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-घड़ी  : स्त्री० [सं० कर्म+हिं० घड़ी] वह बड़ी घड़ी, जो ऐसे स्थान पर लगी हो, जहाँ उसे सब लोग देख सकें।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-चक्र  : पुं० [ष० त०] १. धर्म का सारा क्षेत्र और उसके सब आचरण तथा व्यवहार। २. प्राचीन काल का एक प्रकार का अस्त्र। ३. धर्मशिक्षा रूपी वह चक्र या पहिया, जो गौतम बुद्ध ने काशी में सबको धर्म की शिक्षा देने के लिए चलाया था। ४. गौतम बुद्ध, जो उक्त चक्र चलानेवाले थे।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-चर्या  : स्त्री० [ष० त०] धार्मिक ग्रन्थों में प्रतिपादित सिद्धान्तों के अनुसार किये जाने वाले सब आचरण और व्यवहार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-चिंतन  : पुं० [ष० त०] धर्म-संबंधी बातों पर किया जानेवाला चिंतन, मनन या विचार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-च्युत  : वि० [पं० त०] [भाव० धर्मच्युति] अपने धर्म से गिरा या हटा हुआ। जिसने अपना धर्म छोड़ दिया हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-जन्मा (न्मन्)  : पुं० [सं० ब० स०] युधिष्ठिर का एक नाम।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-तंत्र  : पुं० [ष० त०] ऐसी शासन प्रणाली, जिसमें किसी विशिष्ट धर्म या मजहब का ही प्रभुत्व होता है और शासन व्यवस्था प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से धर्म-पुरोहितों के हाथ में रहती है। (थियोक्रेसी)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-दान  : पुं० [मध्य० स०] बिना किसी प्रकार की फल-प्राप्ति के निहित उद्देश्य से और केवल परोपकार की दृष्टि से दिया जानेवाला दान।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-दारा  : स्त्री० [मध्य० स०] धर्मपत्नी। ब्याहता स्त्री।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-देशक  : पुं० [ष० त०] धर्मोपदेशक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-धक्का  : पुं० [सं०+हिं०] १. ऐसा कष्ट जो धर्मानुसार कोई कार्य संपादित करते समय अथवा उसके फलस्वरूप सहना या उठाना पड़े। २. अच्छा काम करने पर भी मिलने वाली आपत्ति या बुराई।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-धातु  : पुं० [सं० धर्म√धा (धारण)+तुन्] गौतमबुद्ध।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-ध्वज  : पुं० [ब० स०] १. ऐसा व्यक्ति जो धर्म की आड़ लेकर स्वार्थ-साधन तथा अनेक प्रकार का कुकर्म करता हो। २. मिथिला के एक ब्रह्मज्ञानी राजा जो राजा जनक के वंशजों में से थे।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-ध्वजता  : स्त्री० [सं० धर्मध्वज+तल्—टाप्] १. धर्म-ध्वज होने की अवस्था या भाव। २. धर्म की आड़ में किया हुआ आडम्बर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-ध्वजी  : पुं०=धर्मध्वज।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-नंदन  : पुं० [ष० त०] युधिष्ठिर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-नाथ  : पुं० [ष० त०] १. न्यायकर्ता। २. जैनों के पन्द्रहवें तीर्थंकर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-नाभ  : पुं० [धर्म-नाभि ब० स०, अच्] १. विष्णु २. एक प्राचीन नदी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-निरपेक्ष  : वि० [पं० त०] (राज्य अथवा शासन-प्रणाली) जहाँ अथवा जिसमें किसी धार्मिक सम्प्रदाय का पक्षपात या प्रभुत्व न हो। (सेक्युलर)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-निष्ठ  : वि० [ब० स०] [भाव० धर्मनिष्ठा] जिसकी अपने धर्म में निष्ठा हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-निष्ठा  : [स० त०] अपने धर्म के प्रति होने वाली निष्ठा या दृढ़ विश्वास।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-पति  : पुं० [ष० त०] १. धर्म पर अधिकार रखनेवाला पुरुष। धर्मात्मा। २. वरुण देवता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-पत्तन  : पुं० [सं०] १. बृहत्संहिता के अनुसार कूर्मविभाग में दक्षिण का एक जन-स्थान जो कदाचित् आधुनिक धर्मापटम (जिला मलाबार) के आस-पास रहा हो। २. श्रावस्ती नगरी। ३. काली या गोल मिर्च।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-पत्नी  : स्त्री०[च० त०] संबंध के विचार से वह स्त्री, जिसके साथ धर्मशास्त्र द्वारा निर्दिष्ट रीति से विवाह हुआ हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-पत्र  : पुं० [ब० स०] गूलर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-परायण  : वि० [धर्म-पर-अयन, ब० स०] [भाव० धर्म-परायणता] धर्म द्वारा निर्दिष्ट ढंग से काम करने वाला। धर्म के विधानों के अनुसार निष्ठापूर्वक काम करनेवाला। (रेलिजस)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-परिणाम  : पुं० [ष० त०] १. योग-दर्शन के अनुसार सब भूतों और इंद्रियों के एक रूप या स्थिति से दूसरे रूप या स्थिति में प्राप्त होने की वृत्ति। एक धर्म की निवृत्ति होने पर दूसरे धर्म की प्राप्ति। २. धर्म।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-परिषद  : स्त्री० [ष० त०] न्याय करने वाली सभा। धर्मसभा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-पाठक  : पुं० [ष०] धर्म-ग्रन्थों का अध्ययन करने वाला व्यक्ति।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-पिता (तृ)  : पुं० [तृ० त०] वह जो धार्मिक भाव से किसी का पिता या संरक्षक बन गया हो। (जन्मदाता पिता से भिन्न)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-पीठ  : पुं० [ष० त०] १. वह स्थान, जो धार्मिक दृष्टि से प्रधान या मुख्य माना जाता हो। २. वह स्थान, जहाँ से लोगों को धर्म की व्यवस्था मिलती हो। ३. काशी नगरी का एक नाम।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-पीड़ा  : स्त्री० [ष० त०] १. धर्म या न्याय का उल्लंघन। २. अपराध।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-पुत्र  : पुं० [ष० त०] १. धर्म के पुत्र युधिष्ठिर। २. नर-नारायण। ३. वह जो अपना औरस पुत्र तो न हो, परंतु धार्मिक रीति या विधि से अथवा धर्म को साक्षी रखकर अपना पुत्र बना लिया गया हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-पुरी  : स्त्री० [ष० त०] १. धर्म राज या यमराज की यमपुरी, जहाँ शरीर छूटने पर प्राणियों के किये हुए धर्म और अधर्म का विचार होता है। २. कचहरी। न्यायालय।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-पुस्तक  : स्त्री०[ष० त०]=धर्म-ग्रन्थ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-प्रतिरूपक  : पुं० [ष० त०] मनु के अनुसार ऐसा दान, जो अपने सगे संबंधियों के दीन-दुखी रहते हुए भी केवल नाम या यश कमाने के लिए दूसरों को दिया जाए। (ऐसा दान निन्दनीय और धर्म की विडम्बना करनेवाला कहा गया है।)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-प्रभास  : पुं० [सं०] गौतम बुद्ध।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-प्रवचन  : पुं० [धर्म-प्र√वच् (बोलना)+ल्युट्—अन] १. कर्तव्य-शास्त्र २. बुद्धदेव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-बुद्धि  : स्त्री० [स० त०] धर्म-अधर्म का विवेक। भले-बुरे का विचार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-भगिनी  : स्त्री० [मध्य० स०] १. वह स्त्री जो धर्म को साक्षी करके बहन बनायी जाए। २. गुरु-कन्या।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-भागिनी  : स्त्री० [स० त०]=धर्मपत्नी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-भाणक  : पुं० [ष० त०] धर्म का बखान करनेवाला व्यक्ति। कथा-वाचक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-भिक्षुक  : पुं० [च० स०] मनु के अनुसार नौ प्रकार के भिक्षुकों में से वह जो केवल धार्मिक कार्यों के लिए भिक्षा माँगता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-भीरु  : वि० [स० त०] [भाव०] धर्म भीहता (व्यक्ति) जो धर्म के भय के कारण अधर्म या दूषित काम न करता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-भ्रष्ट  : वि० [पं० त०] [भाव० धर्म भ्रष्टता] जो अपने धर्म से गिरकर भ्रष्ट हो गया हो। धर्म-च्युत।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-मत  : पुं० [मयू० स०] धर्म के रूप में प्रचलित मत या संप्रदाय। मजहब (धर्म के व्यापक अर्थ और रूप से भिन्न)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-मति  : स्त्री०=धर्म-बुद्धि।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-मूल  : पुं० [प० त०] धर्म का मूल, वेद।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-यज्ञ  : पुं० [तृ० त०] ऐसा यज्ञ जिसमें पशुओं की बलि न दी जाती हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-युग  : पुं० [मध्य० स०] सत्ययुग।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-युद्ध  : पुं० [तृ० त०] १. ऐसा युद्ध जिसमें छल-कपट या धोखा-धड़ी न हो, बल्कि नैतिक दृष्टि से उच्च स्तर पर हो और किसी की दुर्बलता का अनुचित रूप से लाभ न उठाया जाए। २. धर्म की रक्षा के लिए अथवा किसी बहुत अच्छे उद्देश्य से किया जाने वाला युद्ध।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-योनि  : पुं० [ष० त०] विष्णु।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-लिपि  : स्त्री० [ष० त०] १. वह लिपि जिसमें किसी धर्म की मुख्य पुस्तक लिखी हो। २. भिन्न-भिन्न स्थानों पर खुदे हुए सम्राट अशोक के धार्मिक प्रज्ञापन।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-लुप्ता उपमा  : स्त्री० [धर्म-लुप्ता तृ० त०, धर्म-लुप्ता और उपमा व्यस्त पद] उपमा अलंकार का एक भेद, जिसमें धर्म अर्थात उपमान और उपमेय में समान रूप से पाई जानेवाली बात का कथन या उल्लेख नहीं होता।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-वर्धन  : पुं० [ष० त०] शिव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-वासर  : पुं० [ष० त०] पूर्णिमा तिथि।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-वाहन  : पुं० [ष० त०] १. धर्म के संबंध में किया जानेवाला चिंतन या विचार। २. धर्मराज का वाहन, भैंसा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-विवाह  : पुं० [तृ० त०] धार्मिक संस्कारों से किया हुआ विवाह।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-विवेचन  : पुं० [ष० त०] १. धर्म के संबंध में किया जाने वाला चिंतन या विचार। २. धर्म और अधर्म का विचार। ३. इस बात का विचार कि अमुक काम अच्छा है या बुरा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-वृद्ध  : वि० [तृ० त०] जो निरंतर धर्माचरण करने के कारण श्रेष्ठ माना जाता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-वैतंसिक  : पुं० [स० त०] वह जो पाप के द्वारा धन कमाकर लोगों को दिखाने और धार्मिक बनने के लिए बहुत दान-पुण्य करता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-व्याध  : पुं० [मध्य० स०] मिथिला का निवासी एक प्रसिद्ध व्याध जिसने कौशिक नामक वेदाध्यायी ब्राह्मण को धर्म का तत्त्व समझाया था।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-शाला  : पुं० [च० त०] १. वह स्थान जहाँ धर्म और अधर्म का निर्णय होता हो। न्यायलय। विचारालय। २. वह स्थान, जहाँ नियमपूर्वक धर्मार्थ के विचार से दीन-दुखियों को दान दिया जाता हो। ३. परोपकार की दृष्टि से बनवाया हुआ वह भवन जिसमें हिंदू यात्री किसी प्रकार शुल्क दिये कुछ समय तक ठहर या रह सकते हों।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-शास्त्री (स्त्रिन)  : पुं० [सं० धर्मशास्त्र+इनि] वह जो धर्मशास्त्र के अनुसार व्यवस्था देता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-शील  : वि० [ब० स०] [भाव० धर्मशीलता] जिसकी प्रवृत्ति धर्म में हो। धार्मिक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-संकट  : पुं० [ष० त०] असमंजस या दुबधा की ऐसी स्थिति जिसमें धर्म का अनुसरण करनेवाला व्यक्ति यह समझता है कि दोनों में से किसी पक्ष में जाने पर धर्म का कुछ न कुछ उल्लंघन करना पड़ेगा। उभय-संकट। (डिप्लोमा)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-संगीति  : स्त्री० [ष० त०] दे० ‘संगायन’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-सभा  : स्त्री० [ष० त०] १. वह सभा या संस्था जिसमें केवल धार्मिक बातों या विषयों का विचार और विवेचन होता हो। (सिनॉड) २. कचहरी। न्यायालय। ३. दे० ‘संगायन’।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-सावर्णि  : पुं० [मय० स०] पुराणों के अनुसार ग्यारहवें मन।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-सुत  : पुं० [ष० त०] युधिष्ठिर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-सूत्र  : पुं० [ष० त०] जैमिनि प्रणीत धर्मनिर्णय-संबंधी एक ग्रन्थ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-सेतु  : वि० [ष० त०] सेतु की तरह धर्म को धारण करने, अर्थात धर्म का पालन करनेवाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म-स्थ  : वि० [सं०धर्म√स्था (ठहरना)+क] धर्म में स्थित। पुं० धर्माध्यक्ष। न्यायाधीश
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मकेतु  : [ब० स०] १. कश्यप वंशीय सुकेतु राजा के पुत्र का नाम। २. गौतम बुद्ध।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मगुप्  : पुं० [सं० धर्म√गुप् (रक्षा)+क्विप्] विष्णु।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मचारी (रिन्)  : वि० [सं० धर्म√चर् (गति)+णिनि] धार्मिक नियमों तथा सिद्धांतों के अनुसार आचरण करनेवाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मज  : वि० [सं० धर्म√जन् (उत्पत्ति)+ड] धर्म से उत्पन्न। पुं० १. किसी का वह औरस पुत्र जो उसकी धर्म-पत्नी से पहले-पहल उत्पन्न हुआ हो। २. धर्मराज युधिष्ठिर, जो धर्म के पुत्र माने गये हैं। ३. एक बुद्ध का नाम। ४. नर-नारायण।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मजीवन  : पुं० [सं० ब० स०] धार्मिक कृत्य कराकर जीविका उपार्जित करनेवाला ब्राह्मण।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मज्ञ  : वि० [सं० धर्म√ज्ञा (जानना)+क] १. धर्म-संबंधी नियमों तथा सिद्धांतों का ज्ञाता। २. धर्मात्मा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मण  : पुं० [सं० धर्म√नम् (झुकना)+ड] १. धामिन वृक्ष। २. धामिन साँप। ३. धामिन पक्षी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मणा  : क्रि० वि०=धर्मतः।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मतः (तस्)  : अव्य० [सं० धर्म+तस्] १. धार्मिक सिद्धान्तों के अनुसार। २. धर्म की दुहाई देते हुए। ३. धर्म के आधार पर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मद  : वि० [सं० धर्म√दा (देना)+क] अपने धर्म का पुण्य या फल दूसरों को दे देनेवाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मद्रवी  : स्त्री० [ब० स०, ङीष्] गंगा नदी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मनंदी (दिन्)  : पुं० [सं०] अनेक बौद्धशास्त्रों का चीनी भाषा में अनुवाद करने वाला एक बौद्ध पंडित।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मपट्ट  : पुं० [ष० त०] शासन अथवा धर्माधिकारी की ओर से किसी को भेजा हुआ पत्र।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मपरायणता  : पुं० [सं० धर्मपरायण+तल्—टाप्] धर्म-परायण होने की अवस्था या भाव। (रेलिजसनेस)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मपाल  : वि० [सं० धर्म√पाल् (पालन)+णिच्+अण] धर्म का पालन या रक्षा करनेवाला। पुं० १. वह जो धर्म का पालन करता हो। २. दंड या सजा जिसके आधार पर धर्म का पालन किया या कराया जाता है। ३. राजा दशरथ के एक मंत्री।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मभृत्  : पुं० [सं० धर्म√भृ (धारण)+क्विप्] १. राजा। २. धर्म-परायण व्यक्ति।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्ममेघ  : पुं० [सं० धर्म√मिह (बरसना)+अच्, घ आदेश] योग में वह स्थिति, जिसमें वैराग्य के अभ्यास से चित्त सब वृत्तियों से रहित हो जाता है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मराई  : पुं०=धर्मराज।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मराज  : पुं० [धर्म√राज् (शोभित होना)+अच्] १. धर्म का पालन करने वाला, राजा। २. युधिष्ठिर। ३. यमराज। ४. जैनों के जिन देव। ५. न्यायाधीश।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मराज परीक्षा  : स्त्री० [ष० त०] स्मृतियों के अनुसार एक प्रकार की दिव्य परीक्षा, जिसमें यह जाना जाता था कि धर्म की दृष्टि में अभियुक्त दोषी है या निर्दोष।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मराय  : पुं०=धर्मराज।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मवर्ती (र्तिन्)  : वि० [सं० धर्म√वृत्त् (बरतना)+णिनि] धर्म के अनुकूल आचरण करनेवाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मवान (वत)  : वि० [सं० धर्म+मतुप्] धर्मात्मा। धर्मनिष्ठ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मविजयी (यिन्)  : पुं० [तृ० त०] वह जो नम्रता या विनय से ही संतुष्ट हो जाय।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मवीर  : पुं० [स० त०] वह जो धर्म करने में सदा तत्पर रहता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मव्रता  : स्त्री० [सं०] विश्वरूपा के गर्भ से उत्पन्न धर्म नामक राजा की कन्या, जिसने पातिव्रत्य की प्राप्ति के लिए घोर तप किया था; और मारीच ने जिसे परम पतिव्रता देखकर अपनी पत्नी बनाया था।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मशास्त्र  : पुं० [ष० त०] प्राचीन भारतीय समाज तथा हिंदुओं में, पारस्परिक व्यवहार से संबंध रखने वाले वे सब नियम या विधान, जो समाज का नियंत्रण तथा संचालन करने के लिए बड़े-बड़े आचार्य तथा महापुरुष बनाते थे और जो लोक में धार्मिक दृष्टि से विशेष महत्वपूर्ण और मान्य समझे जाते थे। जैसे—मानव धर्म-शास्त्र।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मसारी  : स्त्री०=धर्मशाला।a
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मसू  : वि० [सं० धर्म√सू (प्रेरणा)+क्विप्] धर्म की प्रेरणा करनेवाला। पुं० एक पक्षी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मसेन  : पुं० [सं०] १. एक प्रचीन महास्थविर या बौद्ध महात्मा, जो ऋषिपत्तन (सारनाथ, काशी) संघ के प्रधान थे। २. जैनों के बारह अंगविदों में से एक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मस्कंध  : पुं० [सं०] धर्मास्तिकाय पदार्थ। (जैन)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मस्थीय  : पुं० [सं०] न्यायालय।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मस्व  : वि० [च० त०] धर्मार्थ कामों में लगाया या समर्पित किया हुआ (धन आदि) पुण्यार्थ। पुं० ऐसा समाज या संस्था, जिसकी स्थापना धार्मिक उद्देश्यों की सिद्धि के लिए हुई हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मांग  : पुं० [धर्म-अंग, ब० स०] बगला (शरीर के सफेद रंग के आधार पर)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मागम  : पुं० [धर्म-आगम, ष० त०] धर्मग्रन्थ।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्माचरण  : पुं० [धर्म-आचरण, ष० त०] [कर्ता धर्माचारी] किया जाने वाला पवित्र और शुद्ध आचरण।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्माचार्य  : पुं० [धर्म-आचार्य, स० त०] १. धर्मपुत्र। २. धर्मराज। युधिष्ठिर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मांतर  : पुं० [धर्म-अंतर, मयू० स०] स्वकीय या प्रस्तुत धर्म से भिन्न कोई और धर्म।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मांतरण  : पुं० [सं० धर्मांतर+क्विप्+ल्युट्—अन] [भू० कृ० धर्मांत-रित] अपना धर्म छोड़कर दूसरा धर्म ग्रहण करना।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मात्मा (त्मन्)  : वि० [धर्म-आत्मन्, ष० त०] १. धर्म-ग्रन्थों द्वारा प्रति-पादित सिद्धांतों के अनुसार आचरण करनेवाला। २. बहुत ही नेक और भला (व्यक्ति)।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मादा  : पुं० [सं० धर्म-दाय] धर्मार्थ निकाला हुआ धन।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मांध  : वि० [धर्म-अंध तृ० त०] १. (व्यक्ति) जो अपने धर्मशास्त्रों में बतलाई हुई बातों के अतिरिक्त दूसरी अथवा दूसरे धर्मों की आच्छी बातें भी मानने को तैयार न होता हो। २. स्वधर्म में अंध-श्रद्धा होने के फलस्वरूप दूसरे धर्मों के प्रति तिरस्कार या द्वेष की भावना रखनेवाला। ३. धर्म के नाम पर दूसरों से लड़ने अथवा अनुचित काम करने को तैयार होने वाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्माधर्म  : पुं० [धर्म-अधर्म, द्व० स०] १. धर्म और अधर्म। २. धर्म और अधर्म का ज्ञान या विचार।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्माधिकरण  : पुं० [धर्म-अधिकरण, ष० त०] वह स्थान, जहाँ राजा व्यवहारों (मुकदमों) पर विचार करता है। विचारालय।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्माधिकरणी (णिन्)  : पुं० [सं० धर्माधिकरण+इन] न्यायाधीश।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्माधिकरिणक  : पुं० [सं० धर्माधिकरण+ठन्—इक] धर्म-अधर्म का निर्णय करने वाला राज-कर्मचारी। न्यायाधीश।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्माधिकारी (रिन्)  : पुं० [सं० धर्म-अधि√कृ (करना)+ णिनि] १. धर्म और अधर्म की व्यवस्था देने वाला, विचारक। न्यायाधीश। २. भारतीय देशी रियासतों और बड़े-बड़े धनवानों के यहाँ का वह अधिकारी जो निश्चय करता था कि किस धर्म में कितना धन व्यय किया जाए।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्माधिकृत  : पुं० [धर्म-अधिकृत, स० त०]=धर्माध्यक्ष।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्माधिष्ठान  : पुं० [धर्म-अधिष्ठान, ष० त०] न्यायालय।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्माध्यक्ष  : पुं० [धर्म-अध्यक्ष, स० त०] १. धर्माधिकारी। २. विष्णु। ३. शिव।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मानुष्ठान  : पुं० [धर्म-अनुष्ठान, ष० त०]=धर्माचरण।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मापेत  : वि० [धर्म-अपेत] जो धर्म के अनुकूल न हो। अधार्मिक। अन्याय संगत। पुं० १. अधर्म। २. अन्याय। ३. पाप।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्माभास  : पुं० [सं० धर्म+आ√भास् (दीप्ति)+अच्] ऐसा असद् धर्म जो नाम-मात्र के लिए धर्म कहलाता हो, पर वस्तुतः श्रुति-स्मृतियों की शिक्षाओं के विपरीत हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मारण्य  : पुं० [धर्म-अरण्य, मध्य० स०] १. तपोवन। २. पुराणानुसार एक प्राचीन वन, जिसमें धर्म उस समय लज्जा के मारे छिपा था, जब चन्द्रमा ने गुरुपत्नी तारा का हरण किया था। ३. गया के पास का एक तीर्थ। ४. पुराणानुसार कूर्म विभाग का एक प्रदेश।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मार्थ  : वि० [धर्म-अर्थ, ब० स०] १. धार्मिक कार्यों के लिए अलग किया या निकाला हुआ (धन)। २. (कार्य) जो धर्म, परोपकार, पुण्य आदि की दृष्टि से किया जाए। क्रि० वि० केवल धर्म, अर्थात परोपकार या पुण्य के उद्देश्य या विचार से। जैसे—वे हर महीने १॰., धर्माथ देते हैं। पुं० धार्मिक दृष्टि से किया हुआ दान।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मार्थी (र्थिन्)  : पुं० [धर्म-अर्थिन, ष० त०] वह जो धर्म और उसके फल की इच्छा या कामना रखता हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मावतार  : पुं० [पुं० धर्म-अवतार ष० त०] १. वह जो इतना बड़ा धर्मात्मा हो कि धर्म का साक्षात् अवतार जान पड़े। परम धर्मात्मा। २. धर्म और अधर्म का निर्णय करनेवाला। न्यायाधीश। ३. युधिष्ठिर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मावस्थायी (यिन्)  : पुं० [सं० धर्म-अव√स्था (ठहरना)+ णिनि] धर्माधिकारी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मासन  : पुं० [धर्म-आसन, च० त०] न्यायाधीश का आसन।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मास्तिकाय  : पुं० [धर्म-अस्तिकाय, ष० त०] जैन शास्त्रानुसार छः द्रव्यों में से एक जो अरूपी है और जीव तथा पुद्गल की गति का आधार या सहायक माना गया है।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मिणी  : स्त्री० [सं० धर्म+इनि+ङीप्]१. पत्नी। २. रेणुका। वि० सं० ‘धर्मी’ का स्त्री०।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मिष्ठ  : वि० [सं० धर्म-इष्ठन] १. धर्म पर आरूढ़ या स्थित रहने वाला। २. पुण्यात्मा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मी (र्मिन्)  : वि० [सं० धर्म+इनि] [स्त्री० धर्मिणी] १. किसी विशिष्ट धर्म-गुण आदि से युक्त। जैसे—ताप-गर्मी, द्रव-धर्मी। २. धर्म की आज्ञाएँ और सिद्धान्त माननेवाला। ३. किसी विशिष्ट धर्म या मत का अनुयायी। जैसे—सनातन-धर्मी। पुं० १. वह जो किसी विशिष्ट धर्म, गुण या तत्व का आधार हो। २. धर्मात्मा व्यक्ति। ३. विष्णु। स्त्री० धर्म का भाव। जैसे—हठ-धर्मी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मीपुत्र  : पुं० [सं०] १. नायक का कोई पात्र या अभिनय कर्ता। २. नट।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मेन्द्र  : पुं० [धर्म-इन्द्र, स० त०] १. यमराज। २. युधिष्ठिर।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मेयु  : पुं० [सं०] पुरुवंशी राजा रौद्राश्व का एक पुत्र। (महाभारत)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मेश, धर्मेश्वर  : पुं० [धर्म-ईश ष० त०, धर्म-ईश्वर ष० त०] यमराज।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मोत्तर  : वि० [धर्म-उत्तर ब० स०] जो धर्म-अधर्म का बहुत ध्यान रखता हो। अति धार्मिक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मोन्माद  : पुं० [धर्म-उन्माद, तृ० त०] १. वैद्यक के अनुसार एक प्रकार का उन्माद या पागलपन, जिसमें मनुष्य दिन-रात धर्म-सम्बन्धी कार्यों या विचारों में मग्न रहता है। २. मनुष्य की वह मानसिक अवस्था जिसमें वह धर्म के नाम पर अंधा होकर भले-बुरे का विचार छोड़ देता है। (थियोमेनिया)
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मोपदेश  : पुं० [धर्म-उपदेश ष० त०] १. धर्म-संबंधी तत्त्वों, शिक्षाओं, सिद्धान्तों आदि से संबंध रखने वाला वह उपदेश जो दूसरों को धर्मनिष्ठ बनाने के लिए दिया जाए। २. धर्मशास्त्र।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मोपदेशक  : पुं० [धर्म-उपदेशक, ष० त०] लोगों को धर्म संबंधी उपदेश देने वाला व्यक्ति।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्मोपाध्याय  : पुं० [धर्म-उपाध्याय, ष० त०] पुरोहित।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म्य  : वि० [सं० धर्म+यत्] १. धर्म-संबंधी। २. धर्म-संगत। न्यायपूर्ण।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्म्य-विवाह  : पुं० [कर्म० स०]=धर्म-विवाह।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्ष  : पुं० [सं०√धृष् (झिड़कना, दबाना)+घञ्] १. ऐसा आचरण या व्यवहार जिसमें शिष्टता, शील आदि का पूरा आभाव हो। अविनय और धृष्टता का व्यवहार। गुस्ताखी। २. असहन-शीलता। ३. अधीरता। ४. अनादर। अपमान। ५. (किसी स्त्री का) सतीत्व नष्ट करने की क्रिया। ६. हिंसा। ७. अशक्तता। असमर्थता। ८. प्रतिबन्ध। रुकावट। रोक। ९. नपुंसकता। हिजड़ा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्ष-कारिणी  : वि० [सं० धर्षकारिन्+ङीप्] (स्त्री०) जिसका सतीत्व नष्ट हो चुका हो। व्याभिचारिणी।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्षक  : वि० [सं०√धृष+ण्वुल्—अक] दबानेवाला दमन करनेवाला। २. अनादर या अपमान करनेवाला। ३. असहिष्णु। ४. स्त्रियों का सतीत्व नष्ट करनेवाला। व्याभिचारी। ५. अभिनेता। नट।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्षकारी (रिन्)  : वि० [सं० धर्ष√कृ (करना)+णिनि] [स्त्री० धर्षकारिणी]=धर्षक।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्षण  : पुं० [सं०√धृष्+ल्युट्—अन] [वि० धर्षणीय, धर्षित] १. किसी को जोर से पकड़कर दबाने या दबोचने की क्रिया या भाव। २. किसी को परास्त करते हुए नीचा दिखाना। ३. अनादर। अपमान। ४. असहिष्णुता। ५. स्त्री के साथ किया जाने वाला प्रसंग। सम्भोग। ६. एक प्रकार का पुराना वस्त्र। ७. शिव का एक नाम।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्षणा  : स्त्री० [सं०√धृष्+णिच्+युच्-अन, टाप्] १. धर्षण करने की क्रिया या भाव। धर्षण। अपमान। अवज्ञा। ३. स्त्री का सतीत्व नष्ट करना। ४. स्त्री-प्रसंग। सम्भोग।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्षणी  : स्त्री० [सं०√कृष् (खींचना)+अणि—ङीष्,क—घः] असती स्त्री। कुलटा।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्षणीय  : वि० [सं०√धृष्+अनीयर] जिसका घर्षण किया जा सकता हो या किया जाना उचित हो।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्षित  : भू० कृ० [सं०√धृष्+क्त] [स्त्री० धर्षिता] १. जिसका धर्षण किया गया हो। दबाया या दमन किया हुआ। २. पराभूत। हराया हुआ। ३. जिसे नीचे दिखाया गया हो। पुं० प्रसंग। मैथुन।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्षिता  : स्त्री० [सं० धर्षित+टाप्] १. व्याभिचारिणी स्त्री। २. वेश्या
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
धर्षी (र्षिन्)  : वि० [सं०√धृष्+णिनि] [स्त्री० धर्षिणी] १. धर्षण करनेवाला। २. दबाने या दबोचनेवाला। ३. अपमान या तिरस्कार करनेवाला। ४. परास्त करने या हरानेवाला। ५. नीचा दिखानेवाला।
समानार्थी शब्द-  उपलब्ध नहीं
 
लौटें            मुख पृष्ठ
 

A PHP Error was encountered

Severity: Notice

Message: Undefined index: mxx

Filename: partials/footer.php

Line Number: 7

hellothai